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Showing posts from October, 2021

जानिए कैसे बनेगें ऑफिस में आइडियल पर्सनैलिटी ।

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प्रोफेशनल लाईफ मैनेजमेंट:जानें चित्त की परख के गुर। ---------------------------- कार्यस्थल पर होनेवाले तनाव से बच व्यक्तिगत जीवन को दें नया आयाम। ---------------------------------- स्नेहा आज फिर परेशान होकर ऑफिस के एक कोने में अपने सहकर्मियों को कोस रही थी। उनको यह महसूस होता था कि लोग उनके काम करने और स्पष्टवादी सोच से जलन रखते हैं। पुरूष सहकर्मी उनके लिए दिखावे का प्यार मगर असल में अपनी ताकत और रूआब से छल रहे हैं। इससे पहले वह पटना में एक कंस्ट्रक्शन कंपनी में काम करती थी। वहाँ काम का समय निर्धारित नही था इसलिए घर और बच्चों पर वह ध्यान नही दे पा रही।पब्लिकेशन कंपनी के इस दफ्तर में भी स्नेहा असुरक्षित ही महसूस कर रही थी।सहकर्मियो का बर्ताव से स्नेहा का सरल स्वभाव गुस्से और अक्रामक स्वभाव की वजह से पति के साथ सदैव उनदोनो का अनबन हो रहा था। ऑफिस से घर आकर स्नेहा का शरीर जवाब दे देता था।मस्तिष्क ऐसा लगता था की किसी ने निचोङ कर रख दिया हो।वह मन ही मन डरने भी लगी थी। वह लाख चाहने के बावज़ूद ऑफिस के महौल में नही ढल पा रही थी।इस मुद्दे पर वह अपने कार्यालय के  बौस से भी बहुत मर्तब

अंतर्राष्ट्रीय वृद्धजन दिवस(1/10/21)पर विशेष।

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जिंदगी दरिया ए उम्मीद ! ------------------------------ धुंआ खींच बेटा धुंआ!अस्सी साल हो गये मुझे परिवार की गाङी और नौकरी की जिम्मेदारी को निभाते हुए!सीढीयों से ऊपर चढते हुए जयंत बाबू ने अपने पोते मयंक पर तंज कसा।बङे बेफ्रिकी से वह युवा सिगरेट के कश लिए जा रहा था।जयंत बाबू के चश्मे पर पङे बारिश की बूंदे उनके व्यक्तित्व की चमक दिखा रहें थे। अपने कुरते से पानी के छीटें साफ करते हुए आसमान की ओर देखा।मयंक के सिगरेट के छल्ले गोल-गोल बादलों से उमङते-घुमङते दिख रहें थे। अपनी तीसरी पीढ़ी में इस तरह के व्यवहार देख उनके मन में कसक पैदा हो रही थी। आजकल के युवा अपने बुजुर्गों का ख्याल क्यों नही रखतें।ये सवाल उनके मन में कौंध रहा था। बार-बार वह अपने जीवन में झांकने की कोशिश कर रहे थे। कोई बीस साल पहले पटना सचिवालय से उनकी सेवानिवृत्ति हुयी।अपने काम और जज्बे से वह बिहार विधान सभा कार्यालय में नं एक की पोजिशन में रहें।विपक्ष हो या सत्तारूढ़ पार्टियां सबके लिए ईमानदार रहें ।जिस आयोग से वह चयनित हुए थे। उनको वहाँ भी उच्च कुर्सी मिली थी। अपने समय में वह सचिवालय की सुरक्षा को अभेद्य बनाने के लिए सुर्ख़ियो