Posts

Showing posts from April, 2021

आपस में मिल करें अद्वितीय शक्ति का आगाज।

Image
आपस में मिल करें अद्वितीय शक्ति का आगाज। --------------------------------------- पत्थरों में फूल खिला दें! बंजर भूमि को गुलशन बना दें, मरुस्थल में शीतल जल। ऐसे हैं हमारे शिव गुरूवर! रोते को हंसना सीखा दें। लङखङाते को चलना सीखा दें; ऐसे हैं हमारे पैग़म्बर मुहम्मद! चिङिया नाल जब बाज लङावा, ता गोविंद सिंह नाम कहावा! अपनी कृपा बल भर चिङिया में, बाज का नामो निशां मिटवा दें! ऐसे हैं हमारे गुरू गोविंद भगवन। मानवता की खातिर सूली चढें! ऐसे हैं हमारे प्रभु यीशु। हे दया के सागर,रहम के परवर दीगार,कृपालु और त्यागी जगत के पालनहार! अपने भक्तों के रक्षक बन उभरें, करें कोरोना का संहार! इस युग में आप सब मिल , करें आपस में अद्वितीय शक्ति का आगाज। -डॉ॰ मनोज कुमार, मनोवैज्ञानिक, पटना।

मेरे बस में नहीं बेकाबू मन।

Image
मेरे बस में नहीं बेकाबू मन। ------------------------------------- डा.मनोज कुमार  --------------------- वह अभी कालेज का पहला लेक्चर  मैम  से सुना।काफी प्रभावित हुअा।कुछ दिन तक आवाज उसके कानों मे गूंजती रही।एक दिन उसने पाया वह अपने टीचर के बारे मे ठीक नहीं सोच रहा।बहुत सोचा,विचार किया फिर भी उसके मन से वह बात नही जा रही थी,अब वह खुद को द्वोषी मानने लगा।लोगों से कटकर जीने लगा।घुटन इतनी की पढाई पर भी ध्यान नही हो पा रहा।लाख जतन किया लेकिन अपने विचारों पर से नियंत्रण पा न सका।आयुषि गूहणी है। उम्र कोई तेतीस साल।उनके मन मे सफाई का भूत सवार है।घर व दूसरे समान हमेशा चकाचक।सफाई के पीछे उनका इतना समर्पण है कि वह अपने पति व बच्चे का ख्याल नही रखती।अपने खफा हो रहे लेकिन उनको इसकी परवाह नहीं। सुकेश 38 साल के है ।जब भी टीवी या अखबार मे कुछ अप्रिय देखते सुनते है उनको अपने पुत्र के बारे मे दुखद सोचना शुरु कर देते है।हर पल पि्यजनो की मूत्यु या अशुभ सोच उनकी दिनचर्या चौपट कर रही।कभी नींद का उचटना तो कभी भूख की दुरी।सुख मानो कोसो दूर।चैन की बूंद भी नही।हर पल की कुछ न हो जाये मेरे परिवार को। चि

रक्त का कतरा-कतरा जुटे।

Image
रक्त का  कतरा-कतरा जुटे जाये! शालीनता भरे इस इमारत में ।  मेहनत से उपजे पसीने की खूश्बू भी शरीक होकर, धूल- मिट्टी की चादर लपेट ले! धूप-छांव की परवाह किये बगैर मेरे राहों में बिछे कांटे भी उमंग व हौसले के उङान से वाह!लग रहें कितने प्यारे। यह प्यास हैं कामयाबी की जीत के उमंग के आगे  रास्ते की कठिनाइयाँ भी  पहाङों में मीठे जल-स्रोत सरीखे। -डॉ॰ मनोज कुमार

जानिये लालची होना भी एक रोग।

Image
सूदखोरी-घूसखोरी,भ्रष्टाचार -लालच की माया प्रीडोमिनेन्ट मानसिक रोग की छाया। --------------------------------- साब!खर्चा सब लेता हैं यहाँ मैं थोङे कम में सलटा दूंगा ।अपनी घिसी हुई दांतों को निपोरते हुए तपन बाबू की तरफ उस कर्मचारी ने देखा ।तपन बाबू कमीज की तरफ झांकते हुए दफ्तर से निकल लिए‌। पटना के गांधी मैदान के दक्षिण में बने बिस्कोमान को देखने की कोशिश की और फिर बगल में खङी गांधी जी की विशालकाय प्रतिमा को देखते हुए मुस्कुराते हुए निकलने लगे। गेट नं 2 के पास कुछ बच्चे खेल रहे थे उनको पकङा और मैदान में खुले रेस्टोरेंट्स में ले जाकर भरपेट खिला दिया।बच्चों के भरे पेट व मुस्कान ने उन्हें एक अजीब सूकून दिया । कारगिल चौक पर बने बस अड्डे से बस लिया और खुलने का इंतजार करने लगे।एक सीट खाली थी मै भी उनके बगल में बैढ गया।पानी की बोतल निकाली मैने और इशारे से पीने को पूछा तो कृतार्थ होकर मुस्कुराने लगे। "आप क्या करते हो?" मैने बोला सर मै समाज सेवा करता हूँ! नेता हो क्या जी ! मैने बताया मैं लोगो के मानसिक स्वास्थ्य पर काम करता हूँ । वाह!तब बताओ की मै परेशान हूं क्या! मनोवैज्ञानिक की हैसियत