जब तक पिता जी के छांव में थे!सच पूछिये हम जी रहे थे बङे बेफिक्र होकर।उनके कोमल स्पर्श से बन ऊर्जावान !सिर पर मिले आशीष से हर दुःख, मानो हो जाता था चित।वह थे तो दुनिया रंग-बिरंगी मानोइंद्रधनुषी रंग से नहायी !सपने देखा जब भी मैंने , अगले पल हौसला पिताजी ने बढाया।वह थे तो मानो मन की थी रोज दिवाली !रूखी -सूखी रोटियां भी स्वाद में निराली थी।जिनकी उंगली पकङ इठलाया था कभी!करोङो के दौलत भी मानो अब बेमानी।पिता हैं तो सब सुख है!हम सब प्राणियों का वजूद है।उनके बिना जीवन में क्या चैन!इस जीवन में माता-पिता हैं अनमोल।पिता को समझिए,वह दर्शन हैं !वह तो इस संसार में हमारे नींव निर्माता ।ईश्वर की तरह पिता को पूज लिए जिस संतान ने!जीवन के असल मायने पा लिए उस इंसान ने।🙏🙏-डॉ॰ मनोज कुमार Get link Facebook Twitter Pinterest Email Other Apps July 02, 2023 Read more