जानिये लालची होना भी एक रोग।
सूदखोरी-घूसखोरी,भ्रष्टाचार
-लालच की माया प्रीडोमिनेन्ट मानसिक रोग की छाया।
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साब!खर्चा सब लेता हैं यहाँ मैं थोङे कम में सलटा दूंगा ।अपनी घिसी हुई दांतों को निपोरते हुए तपन बाबू की तरफ उस कर्मचारी ने देखा ।तपन बाबू कमीज की तरफ झांकते हुए दफ्तर से निकल लिए।
पटना के गांधी मैदान के दक्षिण में बने बिस्कोमान को देखने की कोशिश की और फिर बगल में खङी गांधी जी की विशालकाय प्रतिमा को देखते हुए मुस्कुराते हुए निकलने लगे।
गेट नं 2 के पास कुछ बच्चे खेल रहे थे उनको पकङा और मैदान में खुले रेस्टोरेंट्स में ले जाकर भरपेट खिला दिया।बच्चों के भरे पेट व मुस्कान ने उन्हें एक अजीब सूकून दिया ।
कारगिल चौक पर बने बस अड्डे से बस लिया और खुलने का इंतजार करने लगे।एक सीट खाली थी मै भी उनके बगल में बैढ गया।पानी की बोतल निकाली मैने और इशारे से पीने को पूछा तो कृतार्थ होकर मुस्कुराने लगे।
"आप क्या करते हो?"
मैने बोला सर मै समाज सेवा करता हूँ!
नेता हो क्या जी !
मैने बताया मैं लोगो के मानसिक स्वास्थ्य पर काम करता हूँ ।
वाह!तब बताओ की मै परेशान हूं क्या!
मनोवैज्ञानिक की हैसियत से बातचीत का सिलसिला चलने लगा।
उन्होंने मुझ से लालच,सूदखोरी ,भ्रष्टाचार, दहेज और घूसखोरी के कारण समझना चाहा।
दरासल हम सब अपने जीवन में किसी न किसी चीज से आसक्ति से जुङे होते हैं।
सूदखोरी हैं मानसिक बीमारी
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इस समस्या को प्रीडोमिनेन्ट मोटिव या विकृति भी कहा जाता है। इस समस्या से पीङीत व्यक्ति लालच से खुद को जोङ लेता हैं ,घूसखोर व्यक्ति भी खुद को इसी समस्या से जोङ लेता है। जो लोग भ्रष्ट होते हैं उनकी आसक्ति भी मोह-माया में हो जाती है।
सोते -जागते एक नशा सा अनुभव।
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जो लोग सूदखोरी, जमाखोरी,रिश्वतखोरी के शिकार होते हैं उनका यह अभिप्रेरणा होती है कि कैसे वह इस काम को अंजाम दे।
मानसिक लक्षण।
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नींद उचटना,झूठे दावे,बेचैनी व संतुष्टि की भारी कमी इनके व्यवहार में शामिल होता है।
रात को देर तक जगना,अचानक डर जाना,अकेलापन व दिन में पांव घसीट कर चलना भी इनके प्रमुख सिम्पटम है।
यह लोग मोल-भाव करने के आदि तथा पैसे को महत्व नही देते।
बात जब खुद से खर्च की होती हैं तो ऐसा लगता हैं की किसी ने जान मांग ली हो।
समायोजन में दिक्कत ।
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जो लोग सूदखोरी व अन्य इस तरह के कार्य में लिप्त होते हैं उनका पारिवारिक महत्व वस्तु की तरह रह जाता हैं ।ज्यादातर संवाद की कमी होने लगती हैं और पारिवारिक सदस्य एक दुसरे से झूठे बर्ताव करने लगते हैं।
साइकोसोमेटिक समस्याएं की अधिकता।
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इस समस्या से पीङीत व्यक्ति हमेशा किसी न किसी दर्द से पीड़ित होता है। प्राय:यह देखा गया हैं की जो समस्या मन में होती हैं और उसकी आस्क्ति नकारात्मक तरीके से मन से जुड़े होते हैं वह शरीर के अंगों को भी रूलाने लगता है।
तपन बाबू ने बीच में ही तपाक से टोकते हुए प्रश्न पूछ लिए"सर इसका इलाज क्या है। "
मै इससे पहले कुछ बोल पाता उन्होंने अपना विजिटिंग कार्ड थमाते हुए बस स्टॉप पर मेरी तरफ मुस्कुराते हुए उतरने लगे।
(लेखक डॉ॰ मनोज कुमार, पटना में मनोवैज्ञानिक हैं और इनका संपर्क नं 9835498113 है।)
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