अपने भीतर के लौ से करें पथ रौशन।

हवाओं का रूख बदला जा सकता!
..गर हौसले में एहसास हो खुद का।
जब हो चारों ओर घोर अंधेरा!
अपने भीतर के लौ से कर लो पथ रौशन।
चलते हुए गर तू टूट के बिखर भी जा कभी!
अपनी आंखों के सपने को शिकस्त मत होने देना।
हर पल यहीं चिराग जोङेगी तुझे!
आखिरी मंजिल तलक बेहिसाब अनवरत ।
----डॉ॰ मनोज कुमार,सी.साइकोलॉजिस्ट ।

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